Add To collaction

तेरे मेरे मिलन की ये रैना -31-Dec-2021

तेरे मेरे मिलन की ये रैना 


आज घर में कुछ खास बात थी । सबके चेहरे चमके हुये थे । कुछ समझ नहीं आया कि बात क्या है ? श्रीमती जी एक गाना गुनगुना रही थीं "तेरे मेरे मिलन की ये रैना । नया कोई गुल खिलायेगी , तभी तो चंचल हैं तेरे नैना । देखो ना , देखो ना तेरे मेरे मिलन की ये रैना" । 

मेरा माथा ठनका । आज तो हमारी शादी की वर्षगांठ भी नहीं है । और हो भी कैसे सकती है । ये दिन तो मल मास के होते हैं ना । इन दिनों में शादियां कहाँ होती हैं । इसलिए वैवाहिक वर्षगांठ वाला क्लू तो पैदा होने से पहले ही स्वर्ग सिधार गया । फिर क्या हो सकता है ? 

बहुत दिमाग दौड़ाया मगर कुछ समझ नहीं आया । वैसे भी महिलाएं तो मानकर चलती हैं कि समझ नाम कि चीज हम  मूर्खानंदों में होती ही कहाँ है । हम भी मानते हैं कि वाकई मर्द लोग बावले होते हैं नहीं तो तुलसीदास, कालिदास जैसे महान साहित्यकार स्त्री की डांट फटकार सुनने के बाद ही महान क्यों बने ? उससे पहले तो वे ऐसे ही हमारी तरह 'निरे मूर्ख' ही थे । बुद्धि का सारा ठेका तो श्रीमती जीओं ने ले रखा है । आखिर जाति का सवाल जो है । बुद्धि की देवी तो सरस्वती जी हैं ना इसलिए उन्होंने अपनी बिरादरी यानी औरतों को तो जमकर बुद्धि दे दी और हम मर्दों को बुद्धि के नाम पर ठेंगा दिखा दिया । समझे ? नहीं समझे ? रुकिए , एक उदाहरण से समझा रहा हूँ । औरतों को खुश करने के लिए सोने के गहने और हीरों के हार चाहिए । यानि मंहगे वाले उपहार । और हम मर्द तो एक पव्वे में ही राजी हो जाते हैं । तो हैं न औरतें अक्लमंद और मर्द मूर्खानंद । 

महान साहित्यकार तुलसीदास जी और कालिदास जी हमारे प्रेरणास्रोत रहे हैं । उनसे हमें यह प्रेरण मिली कि अगर बड़ा आदमी बनना है तो बीवी की डांट खाओ, क्योंकि वो इसी फार्मूले से बड़े बने थे । हमें भी तो बनना है बड़ा आदमी इसलिए हम भी डांट खाने के लिए श्रीमती जी के सामने पहुंचे और कहा "हमें डांटो" । 

वो पागलों की तरह हमें देखने लगी "पागल तो नहीं हो गये हो आज सुबह सुबह । या फिर दिन चढ़ते ही चढ़ा ली है ? कुछ तो हुआ है , कुछ हो गया है " । 

हमें बड़ा बुरा लगा । एक तो हम कहकर डांट खा रहे हैं । उस पर भी वे नोटिस भी नहीं कर रहे हैं । तीसरे , गाना भी गुनगुना रहे हैं । कमाल है । पर हम भी कम नहीं हैं । माना कि हम किशोर कुमार नहीं हैं पर सुदेश भौंसले ही सही, कुछ तो हैं । हमने भी उनकी सुर ताल में अपनी लय मिला कर कहा " तेरे इश्क का मुझपे हुआ ये असर है । ना जग की खबर है ना खुद की खबर है" । 

अबकी बार वे आगबबूला हो गई । कहने लगीं "एक तो पागलों सी हरकत उस पर बेसुर, बेताल । हाय रब्बा क्या होगा मेरा हाल" । 

हमने कहा देवी जी आज क्या "सुर संगीत संध्या" है ? और ये गाना "तेरे मेरे मिलन की ये रैना" ये किसके लिए है ?  अपनी तो ना शादी की वर्षगांठ है ना मिलन की रैना ।  फिर ये मिलन की रैना किसके साथ है" ?  

बस, फिर क्या था । भयंकर विस्फोट हुआ । दूर तक आवाज गूंजी और हमारे परखच्चे उड़ गये । हम तो डांट खाने गये थे पर मार खाकर लौटे । जब वे थोड़ी शांत हुई तो बोलीं "भगवान ने अक्ल बिल्कुल भी नहीं दी क्या ? पता नहीं कैसे बन गये लेखक । आता जाता कुछ है नहीं और तमगा लगा लिया लेखक का । हुंह " । 

चलो डांट ना सही मार ही सही, कुछ तो मिला । तुलसीदास , कालिदास ना बनें तो क्या हुआ काका हाथरसी या सुरेंद्र शर्मा ही बन जायें, यही बहुत है । मगर ये मिलन की रैना वाला चक्कर समझ नहीं आया और ये खुशी के बादल क्यों छा रहे हैं घर में ? 

"आपको तो कुछ भी नहीं पता । दिन भर उंगली चलाते रहते हो मोबाइल पर । अब कलम का जमाना तो है नहीं , बस उंगली चलाकर मोबाइल पर लिखते रहते हो । कभी घर पर भी ध्यान दोगे तो पता चल जाएगा । आज एक होटल में "न्यू ईयर ईव" पर पार्टी है । बच्चों ने उसमें बुकिंग करा रखी है । बस, इसीलिए ये रौनक नजर आ रही है आज घर में " । 

पार्टी का नाम सुनकर हमारा माथा ठनका । हम लेखकगण तो एक ही पार्टी जानते हैं । बताने की जरूरत है क्या ? नहीं ना । सब जानते हैं । मन में उमंग उठी कि क्या वो वाली पार्टी है ? पर अगले ही पल यह सोचकर उत्साह ठंडा पड़ गया कि बच्चों के सामने थोड़े ना पियेंगे ? हमने साफ कह दिया "नहीं, बिल्कुल नहीं । कोई पार्टी शार्टी नहीं होगी और ना ही कोई जायेगा पार्टी में"  । 

हमने फरमान तो सुना दिया पर हमें पता नहीं था कि हमारे फरमान का वैसा ही हाल होगा जैसा मुगलों के आखिरी सम्राटों के फरमान का होता था । 

"हमें पता था कि आप यही करोगे । इसलिए हमने आपका टिकट बुक ही नहीं करवाया है । आप पड़े रहना घर में और हम तो पार्टी में जायेंगे । जोमेटो या स्विगी से मंगवा लेना अपने लिए कुछ भी । खाते रहना और लिखते रहना । हम तो "मिलन की रैना" का आनंद लेंगे" । 

आसमान से गिरकर हम खाई में लुढकते चले गये । इतनी दुर्गति की उम्मीद नहीं थी हमें । और वो भी अपने ही घर में ! दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेंका उन्होंने तो । बच्चे तो मां का ही साथ देंगे ना । क्योंकि उनको खाना तो वही देती है । पिताओं का क्या है ? उनकी कड़ी मेहनत घर में थोड़ी दिखती है । घर में तो चकरघिन्नी की तरह घूमती मम्मी ही दिखती है । पर उन्हें यह कहाँ पता है कि पापा कोल्हू में बैल की तरह जुतते हैं । वो सामने "घाणी" पेरते दिखते नहीं हैं ना । इसलिए हमारी हालत धोबी के "..." की सी है । 

अब मेरा क्या होगा "हरि" ? हम सोच में पड़ गए । अब पार्टी में कैसे जायें ? हमने तो अपने पैरों पर खुद ने ही कुल्हाड़ी मारी थी । पर अब क्या किया जाये ? एक ही तरीका है । पत्नीम् शरण गच्छामि । अंतिम विकल्प । अचूक ब्रह्मास्त्र हमने कहा 
"प्रिये प्राणेश्वरी । आप तो हैं मेरे हृदय की धुरी । आप सी नहीं है जग में कोई सुंदरी । आप तो उड़ाएंगी पार्टी में हलवा पुरी और हमारे लिये बस एग करी" ? 

ब्रह्मास्त्र काम कर गया । थोड़ी सी मान मनौव्वल से बड़ी जल्दी द्रवित भी हो जाती हैं पत्नियां । यही तो खासियत है इनकी । पल में तोला पल में माशा । कहने लगीं "आपके बिना हम लोग पार्टी में कैसे जा सकते हैं ? ये आपने सोच भी कैसे लिया ? अब समझ में आया श्रीमान जी ! हमारी नाक पकड़कर इधर उधर घुमाते हुए उन्होंने कहा । 

पार्टी का मामला फिट हो गया और आज की चमक का कारण भी पता चल गया । मगर अभी तो "तेरे मेरे मिलन की ये रैना" का भेद बाकी था । हमने कहा "आज किससे मिलने का इरादा है" ? 
"किसी से भी नहीं । अब आपसे मिलने के बाद और किससे मिलेंगे भला" ? 
इस बात से हम फूलकर कुप्पा हो गये । लगा कि हमारी अहमियत अभी बरकरार है । पर ये "मिलन की रैना" वाली बात अभी तक खटक रही थी दिल दिमाग में । उसका समाधान आवश्यक था । 
"मगर आज सुबह से ये तेरे मेरे मिलन की ये रैना" क्यों बज रहा है आपके सुमधुर होठों से ? ये क्या राज है" ? 
"अच्छा ! वो गाना" ! वे जोर से खिलखिलाते हुए बोलीं । "दरअसल आज सन 2021 का अंतिम दिन है और रात से 2022 शुरु हो जायेगा । तो आज की रात 2021 और 2022 के मिलन की रैना है ना । इसलिए ये दोनों साल आज यही गीत गुनगुना रहे हैं । समझ में आया भोलेनाथ" ? 

हम भी "कोई मिल गया" मूवी के नायक की तरह मुस्कुराते हुए बोल पड़े "मुझे सब समझ में आता है" । 

अलविदा 2021 और सुस्वागतम 2022 

आप सबको व आपके परिवार को नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां । आने वाला वर्ष आपके सारे सपने पूरे करे और आपका जीवन सुखमय बने । 
💐💐💐💥💥💥🎂🎂🎂🍦🍦🍦🙏🙏🙏

हरिशंकर गोयल "हरि"
31.12.21 


   3
2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Jan-2022 10:52 PM

बहुत बढ़िया लिखते हैं सर

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

08-Jan-2022 12:28 AM

इतनी प्रशंसा करने के लिये बहुत बहुत आभार, मैम

Reply